दुनिया के सात अजूबे – 7 wonders of the world :
7 wonders of the world : दुनिया के सात अजूबे एक तरह से देखा जाए तो दुनिया के साथ चमत्कार हैं जो कि लगभग असंभव के बराबर है दुनिया के साथ अजूबों के नाम निम्न है –
1. इटली में कोलोसियम
2. जॉर्डन में पेट्रा
3. मेक्सिको में चीचेन इट्ज़ा
4. ब्राजील में क्राइस्ट द रिडीमर
5. पेरू में माचू पिच्चू
6. चीन की महान दीवार
7. भारत में ताजमहल
क्या ये सवाल कभी आपके मन मे आया कि दुनिया में केवल साथ ही अजूबे क्यों हैं ?
आज भी दुनिया में बहुत सी बेहद प्रभावशाली प्राचीन स्थान है लेकिन दुनिया में सिर्फ सात प्राचीन अजूबे ही है , इसका कारण यह है कि प्राचीन यूनानियों का मानना था कि सात नंबर पूर्णता का प्रतीक है इसलिए यह उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण संख्या थी।
सन 2000 में दुनिया के सात अजूबों पर निर्णय लेने के लिए एक अभियान शुरू किया गया था में आश्चर्यजनक स्थान की लिस्ट में कुल 200 से अधिक जगह के नाम सम्मिलित है इन्हें साथ करने के लिए 100 मिलियन से ज्यादा लोगों ने वोट डाले थे फिर वर्ष 2017 में दुनिया के सात अजूबों की नई आधुनिक सूची को अंतिम रूप दिया गया जिसमें आज भी मौजूद जगह को शामिल किया गया है।
विश्व के सात आश्चर्य की आधुनिक सूची एक नजर में …
1. चीन की महान दीवार
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ऐसा कहा जाता है कि चीन की महान दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार है। ऐसा कहा जाता है कि चीनी राष्ट्रीय प्रतीक को कई राजवंशों ने मिलकर सैकड़ो वर्षों में बनाया था जिसकी शुरुआत लगभग 220 ईसा पूर्व में हुई थी और इस दीवार का निर्माण आक्रमणों से क्षेत्र की रक्षा के लिए किया गया था और सबसे ऊंचे स्थानों पर वॉच टावर बनाए गए थे।
वास्तव में प्रसिद्ध स्थल चीन की दीवार कई ओवरलैपिंग दीवारों से बनी है जिनकी संयुक्त लंबाई 20000 किलोमीटर तक है ।हर साल लाखों लोग इस अद्भुत दीवार को देखने के लिए आते हैं ।
2. भारत का ताजमहल
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ऐसा कहा जाता है कि भारत के इस शानदार इमारत ताजमहल को बनाने में कल 16 साल लगे थे और 20000 कारीगर लगे थे । इसे 1632 में शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की कब्र बनाने के उद्देश्य से बनवाया था । यदि वस्तु कला की दृष्टि से देखा जाए तो यह इमारत समरूपता और संतुलन का प्रतिनिधित्व भी करती है , यदि इसके बाहरी संगमरमर की दीवारों की बात की जाए तो इसका रंग दिन के समय के आधार पर बदलता रहता है । शाम के समय यह दूध के रंग का दिखता है और रात में चांद की रोशनी में अद्भुत सुनहरा दृश्य दिखता है वही सुबह की बात करें तो धूप में सफेद संगमरमर बिल्कुल गुलाबी रंग का दिखता है । कुछ लोग भारत के ताजमहल को प्रेम का प्रतीक भी कहते हैं।
3. पेट्रा ( जॉर्डन )
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पेट्रा एक प्राचीन शहर का नाम है , जिसे चट्टान में उकेरा गया है ऐसा भी माना जाता है कि इस 2000 साल पहले वादी मूसा घाटी में रहने वाले लोगों के द्वारा बनाया गया था जिन्हें नाबातियन कहा जाता था । इतिहास के अनुसार यह शहर 106 ईस्वी में रोमन साम्राज्य के अधीन आ गया और 363 ईस्वी में आए भूकंप ने शहर को क्षतिग्रस्त कर दिया जिसके परिणाम स्वरुप अंततः इसका उपयोग बंद हो गया , वर्ष 1812 में जोहान बर्क हार्ट नामक एक स्वीट खोजकर्ता ने इसे फिर से खोजा था।
4. कोलोसियम ( इटली )
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कोलोसियम को फ्लेवियम एम्फीथियेटर के नाम से भी जाना जाता है इसका निर्माण 70 से 80 एक के बीच में हुआ था । ऐसा कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल कर शताब्दियों तक ग्लेडिएटर की लड़ाई , जानवरों के शिकार और सार्वजनिक फांसी के लिए किया जाता था । समुद्री युद्धों के लिए इसके फर्श को पानी से भी भरा जा सकता था। एक लंबे समय रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इसका इस्तेमाल वास्तव में एक आवास परिसर के रूप में किया गया था फिर 1349 में एक बड़े भूकंप ने इसकी संरचना के कुछ हिस्से को नष्ट कर दिया वर्षों से हुए नुकसान के बावजूद यह आज भी एक अविश्वसनीय रूप से पर्यटको का आकर्षण बना हुआ है ।
5. क्राइस्ट द रिडीमर ( ब्राज़ील )
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क्राइस्ट द रिडीमर एक विशाल मूर्ति है जो ब्राजील के रियो डी जेनेरो के ऊपर कोरकोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थित है । इस विशाल मूर्ति में ईसा मसीह को शहर के ऊपर अपनी बाहें फैलाए हुए दिखाया गया है यह मूर्ति 30 मीटर ( लगभग 100 फुट ) ऊंची है और मूर्ति की भुजाओं की लंबाई 28 मीटर है ।
यह संरचना सबसे नया आश्चर्य है जिसका निर्माण सन 1931 में पूरा हुआ था । इसके निर्माण के समय ईसा मसीह की प्रतिमा की छवियां पूरे देश में फैली हुई थी ।
6. चीचेन इट्ज़ा (मेक्सिको )
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चीचेन इट्ज़ा का निर्माण 600 ईस्वी के आसपास मायान सभ्यता द्वारा किया गया था। यह स्थल एक प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलशास्त्रीय केंद्र था। चिचेन इट्ज़ा का विकास 900 से 1200 ईस्वी के बीच अपने चरम पर था, जब यह मायान और टोलटेक सभ्यताओं के मिलन स्थल के रूप में उभरा। इस समय के दौरान, यहां कई महत्वपूर्ण संरचनाएं और मंदिर बनाए गए ।
चिचेन इट्ज़ा की वास्तुकला में मायान और टोलटेक शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है, जो इसे अद्वितीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और खगोलशास्त्रीय महत्व आज भी इसे एक महत्वपूर्ण अध्ययन और पर्यटन स्थल बनाता है। यह स्थल संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध है और हर साल लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं।
7. माचू पिच्चू ( पेरू )
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माचू पिच्चू पेरू के एंडीज पर्वत में स्थित एक प्राचीन इंका शहर है, जिसे अक्सर “गुमशुदा शहर” कहा जाता है। इसे 15वीं सदी में इंका सम्राट पचाकुती ( Pachacuti ) ने बनवाया था। माचू पिच्चू समुद्र तल से लगभग 2,430 मीटर (7,970 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और यह उरुबाम्बा नदी घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर बना हुआ है। इसे 1911 में अमेरिकी इतिहासकार हिराम बिंघम ने दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, हालांकि स्थानीय लोग इस स्थान को पहले से जानते थे।
माचू पिच्चू का निर्माण पत्थरों को काटकर और जोड़कर किया गया था। इंका लोग पत्थरों को बिना किसी मोर्टार के जोड़ने में माहिर थे, जिससे उनकी संरचनाएं भूकंप-प्रतिरोधी बनती थीं। यह स्थान इंका साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक, खगोलीय और कृषि केंद्र था।
आज, माचू पिच्चू एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसे संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। हर साल लाखों पर्यटक इस प्राचीन शहर को देखने आते हैं और इसकी अद्भुत वास्तुकला, इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करते हैं। माचू पिच्चू न केवल इंका सभ्यता की एक अद्वितीय धरोहर है, बल्कि यह मानव इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर भी है।