Law on paper leak case, 10 years imprisonment, fine of Rs 1 crore :
NEET और UGC-NET परीक्षा विवाद के बीच केंद्र सरकार ने पेपर लीक मामले और धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है जो की ” पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट 2024” के नाम से संबोधित किया जाएगा , पब्लिक एग्जामिनेशन एक्ट ( प्रिवेंशन ऑफ़ अनफेयर मिंस) 21 जून 2024 से लागू कर दिया गया है इसे एंटी पेपर लीक लॉ भी कहा जा रहा है । यह सख्त कानून फरवरी में पारित किया गया था ।
21 जून 2024 को सरकार ने एंटी पेपर लीक लॉ का नोटिफिकेशन जारी किया । जबकि इससे ठीक 1 दिन पहले 20 जून को ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी से पूछा गया था कि यह कानून कब लागू किया जाएगा तो उन्होंने कहा था कि कानून मंत्रालय नियम बना रहा है ।
इससे पहले केंद्र सरकार और उसकी एजेंसी द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में शामिल अलग-अलग संस्थाओं द्वारा अपनाए गए इस गलत त्रिकोण के अपराधों से निपटने के लिए कोई ठोस कानून नहीं बना था।
आखिर क्या है एंटी पेपर लीक लॉ ?
एंटी पेपर लीक लॉ कानून के तहत पूरे देश भर में आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में अनुच्छेद तरीके से अपने गए साधनों पर रोक लगाई जाएगी ।
इस कानून का उद्देश्य यह है कि जितने भी बड़े सार्वजनिक एग्जाम हो रहे हैं उनमें ज्यादा पारदर्शिता रहे साथ ही युवा निश्चित रहे की कोई गड़बड़ी नहीं होगी।
इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति या समूह कोई संगठित अपराध करता है जिसमें परीक्षा प्राधिकरण सर्विस प्रोवाइडर या कोई अन्य संस्था शामिल है तो उन्हें कम से कम 5 साल की कैदी की सजा होगी जिसे बढ़ाकर 10 साल भी किया जा सकता है इसके साथ ही एक करोड रुपए का न्यूनतम जुर्माना भी लगेगा।
एंटी पेपर लीक लॉ कानून में किसी संस्थान के संगठित पेपर लीक अपराध में शामिल पाए जाने पर उसकी संपत्ति कुर्क करने और जप्त करने का भी प्रावधान है एवं परीक्षा की अनुपातिक लागत भी उसी से वसूली जाएगी।
प्रश्न पत्र या उत्तर लीक करना , परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों की मदद करना कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़ करना अथवा उम्मीदवार बनाकर किसी और का पेपर देना फर्जी परीक्षा आयोजित करना नकली दस्तावेज बनाना या योग्यता के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना इस कानून के तहत अपराध माना जाएगा।
एंटी पेपर लीक लॉ कानून के अंतर्गत आने वाले अपराध गैर जमानती है , पुलिस उपाधीक्षक यह सहायता पुलिस आयुक्त के पद से ऊपर का अधिकारी ही इस एक्ट के तहत अपराध की जांच कर सकता है , केंद्र सरकार के पास किसी भी जांच को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की शक्ति है ।
इस एक्ट में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) , कर्मचारी चयन आयोग ( SSC) रेलवे , बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और NTA द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं को शामिल किया गया है ।