Anti Rape Bill of India : कोलकाता में हाल ही में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस घटना के बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में एंटी रेप बिल (Anti Rape Bill) पेश करने की घोषणा की। इस बिल को ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024’ नाम दिया गया है। यह विधेयक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान करता है।
एंटी रेप बिल का मुख्य उद्देश्य और विशेषताएँ | Main objective and features of Anti Rape Bill
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों को रोकना और दोषियों को कड़ी सजा देना है। यह बिल कई महत्वपूर्ण प्रावधानों के साथ पेश किया गया है:
Anti Rape Bill of India
-
सजा-ए-मौत का प्रावधान: इस बिल के अंतर्गत रेप और हत्या करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा का प्रावधान है। यह प्रावधान सुनिश्चित करेगा कि अपराधियों को उनके कृत्यों की गंभीरता के अनुसार सजा मिले।
- जल्द न्याय की प्रक्रिया: चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान है, जिससे न्याय प्रक्रिया को तेज किया जा सके। इसके अलावा, जांच को 21 दिन के भीतर पूरा करने की आवश्यकता होगी।
- अपराधियों की सहायता करने पर सजा: यदि कोई व्यक्ति रेप या यौन उत्पीड़न के अपराधियों की सहायता करता है, तो उसे 5 साल की कैद की सजा हो सकती है।
- विशेष टास्क फोर्स का गठन: हर जिले में एक ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ बनाने का प्रावधान है। यह टास्क फोर्स रेप, एसिड अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में कार्रवाई करेगी।
- एसिड अटैक के लिए सजा: एसिड अटैक को भी गंभीर अपराध माना गया है और इसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
- पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा: पीड़िता की पहचान को सार्वजनिक करने वालों के खिलाफ 3-5 साल की सजा का प्रावधान है।
- सुनवाई में तेजी: सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों में पूरी करने का प्रावधान है।
बिल का पारित होना और विधायी प्रक्रिया |Bill passage and legislative process
अपराजिता विधेयक को पारित होने के लिए राज्य विधानसभा और राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक होगी। इसके बाद, यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। पश्चिम बंगाल की विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के पास 223 विधायकों का समर्थन है, इसलिए बिल का पारित होना मुश्किल नहीं माना जा रहा है। हालांकि, बीजेपी विधायकों ने बिल के समर्थन या विरोध को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है।
कानूनी बाधाएँ और चुनौतियाँ | Legal hurdles and challenges
इस विधेयक के पारित होने में कठिनाई तब सामने आ सकती है जब राष्ट्रपति की मंजूरी की बात आती है। 2019 के आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक और 2020 के महाराष्ट्र शक्ति विधेयक में सभी रेप और गैंगरेप के मामलों के लिए मौत की सजा का प्रावधान था, लेकिन इन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पाई है। यह दर्शाता है कि किसी भी विधेयक को कानून में बदलने में काफी चुनौतियाँ हो सकती हैं।
समाप्ति और भविष्यवाणी
अपराजिता विधेयक का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकना और दोषियों को सख्त सजा देना है। इसके प्रावधानों से उम्मीद की जा रही है कि इससे महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा मिलेगी और न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी। हालांकि, विधेयक की पारित होने और लागू होने की प्रक्रिया में समय लग सकता है, लेकिन इसके प्रभावी होने के बाद यह पश्चिम बंगाल में यौन अपराधों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
Anti Rape Bill of India
इस विधेयक की विशेषताएँ और इसके प्रभाव को देखते हुए, यह कहना उचित होगा कि यह पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी कदम है। इस बिल के सफल कार्यान्वयन से अन्य राज्यों को भी प्रेरणा मिल सकती है, जिससे पूरे देश में यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कानून लागू किए जा सकें।