Ayushmann Khurrana’s Poem Raises Safety Concerns : आयुष्मान खुराना, जो अपने अभिनय और गायकी के लिए मशहूर हैं, ने हाल ही में एक ऐसा वीडियो शेयर किया है जिसने पूरे इंटरनेट को झकझोर कर रख दिया है। यह वीडियो खासकर उस घटना के बाद सामने आया है जिसमें कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की खबर ने देश को हिला कर रख दिया था। इस घटना ने न केवल लोगों के दिलों को छुआ बल्कि कईयों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार कितने असुरक्षित हैं। आयुष्मान ने इस घटना पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं और एक भावुक कविता के माध्यम से समाज को एक आईना दिखाने की कोशिश की है।
आयुष्मान खुराना की कविता: Ayushmann Khurrana’s poetry:
आयुष्मान खुराना ने इस वीडियो में जो कविता साझा की है, वह केवल एक कविता नहीं बल्कि एक आक्रोश है, एक पीड़ा है, और एक सवाल है समाज से। कविता की शुरुआत ही एक गहरे दुःख और निराशा के साथ होती है, जहां वे कहते हैं, “काश मैं भी लड़का होती।” इस पंक्ति में न केवल उनकी वेदना बल्कि एक ऐसी भावना है जो समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव और असुरक्षा को उजागर करती है।
Ayushmann Khurrana’s Poem Raises Safety Concerns :
वीडियो में आयुष्मान खुराना खुराना कह रहें हैं,“मैं भी बिना कुंडी लगाकर सोती, काश मैं भी लड़का होती। झल्ली बनकर दौड़ती उड़ती सारी रात दोस्तों के साथ फिरती, काश मैं भी लड़का होती। कहते सुना है सबको कि लड़की को पढ़ाओ-लिखाओ सशक्त बनाओ। और जब पढ़-लिखकर डॉक्टर बनती तो मेरी मां ना खोती उसकी आंखों का मोती, काश मैं भी लड़का होती। 36 घंटे का कार्य दुश्वार हुआ, बहिष्कार हुआ, बलात्कार हुआ, पुरुष के वहशीपन से साक्षात्कार हुआ। काश! उन पुरुषों में भी थोड़े से स्त्रीपन की कोमलता होती। काश मैं ही लड़का होती। कहते हैं सीसीटीवी नहीं था, होता भी तो क्या होता। एक पुरुष सुरक्षाकर्मी जो उस पर नजर रखता, उसकी नजर भी कितनी पाक होती? पाक होती? काश में एक लड़का होती। अगर मैं एक लड़का होती शायद आज मैं भी जिंदा होती।”
आयुष्मान खुराना की कविता का भावार्थ: Meaning of Ayushmann Khurrana’s poem:
आयुष्मान इस कविता में अपने दिल की गहराइयों से बात कर रहे हैं। वे कल्पना करते हैं कि अगर वे लड़का होतीं तो शायद उनका जीवन कितना आसान होता। वे बिना डर के रात में बाहर घूम सकतीं, बिना चिंता के सो सकतीं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे सुरक्षित होतीं। यह कविता उन तमाम महिलाओं की ओर से एक दर्दनाक चीख है जो समाज की भेदभावपूर्ण सोच और पुरुषवादी मानसिकता का शिकार होती हैं।
कविता में वे कहते हैं कि “कहते सुना है सबको कि लड़की को पढ़ाओ-लिखाओ सशक्त बनाओ।” यह पंक्ति एक महत्वपूर्ण सच्चाई को उजागर करती है कि समाज में लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण की बात की जाती है, लेकिन असल में उन्हें उन बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है जिनकी वे हकदार होती हैं। आयुष्मान की यह पंक्ति कि “और जब पढ़-लिखकर डॉक्टर बनती तो मेरी मां ना खोती उसकी आंखों का मोती,” यह दर्शाती है कि भले ही लड़कियां डॉक्टर बन जाएं या किसी भी ऊंचे पद पर पहुंच जाएं, लेकिन वे समाज में सुरक्षित नहीं हैं।
Ayushmann Khurrana’s Poem Raises Safety Concerns :
आयुष्मान खुराना की कविता का अंत: End of Ayushmann Khurrana’s poem:
आयुष्मान खुराना की यह कविता एक दर्दनाक हकीकत को उजागर करती है। वे कहते हैं, “अगर मैं एक लड़का होती शायद आज मैं भी जिंदा होती।” यह पंक्ति न केवल उस ट्रेनी डॉक्टर की मौत को दर्शाती है बल्कि उस दर्द और असुरक्षा को भी उजागर करती है जो हर लड़की के दिल में होती है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: Reaction on social media:
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने आयुष्मान की इस कविता को दिल से सराहा और उनकी इस संवेदनशीलता के लिए उनकी तारीफ की। आयुष्मान के इस वीडियो ने न केवल लोगों के दिलों को छुआ बल्कि उन्हें सोचने पर मजबूर भी किया कि हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
Ayushmann Khurrana’s Poem Raises Safety Concerns :
निष्कर्ष:
आयुष्मान खुराना की यह कविता और उनका यह वीडियो एक समाजिक जागरूकता का प्रतीक है। यह समाज के उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को नजरअंदाज करते हैं। यह वीडियो इस बात की याद दिलाता है कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को बदलने की सख्त जरूरत है। आयुष्मान का यह कदम एक प्रेरणा है और इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे समाज में बदलाव लाया जा सकता है।