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The Story of Lalbaugcha Raja 2024
The Story of Lalbaugcha Raja 2024

Lalbaugcha Raja Mumbai 2024: स्थापना की कहानी, मूर्ति की विशेषता और कुल खर्च

Lalbaugcha Raja Mumbai 2024 : लालबाग के राजा की स्थापना 1934 में मुंबई के लालबाग इलाके में की गई थी, जब वहां के मछुआरे और व्यापारी अपनी रोजी-रोटी की समस्या का समाधान चाहते थे। इस गणपति मूर्ति की ऊंचाई लगभग 18-20 फीट होती है, जिसे हर साल नई शैली में बनाया जाता है। मूर्ति स्थापना से विसर्जन तक का खर्च करोड़ों रुपये होता है, जिसमें मूर्ति निर्माण, पंडाल सजावट, सुरक्षा व्यवस्था, और विसर्जन शामिल हैं। लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं, क्योंकि यह गणपति “मनोकामना पूर्ति” के लिए प्रसिद्ध हैं।

मुंबई के लालबाग के राजा की कहानी (Story of Raja of Lalbagh, Mumbai)

मुंबई में गणेश चतुर्थी के समय लालबाग के राजा की गणेश मूर्ति को देखने के लिए लाखों लोग उमड़ते हैं। यह मूर्ति न सिर्फ मुंबई, बल्कि पूरे देश में गणेशोत्सव की सबसे प्रमुख आकर्षण है। लालबाग के राजा की स्थापना 1934 में हुई थी, और तब से यह स्थान आस्था, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।

लालबाग के राजा की स्थापना कैसे हुई? (How was Lalbagh Ka Raja established?)

How was Lalbagh Ka Raja established?
How was Lalbagh Ka Raja established?

लालबाग क्षेत्र मुंबई का एक प्रमुख वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र था। 1932 में, मुंबई के लालबाग इलाके में स्थित एक कपड़ा मिल को बंद कर दिया गया था। इसके बाद यहां के निवासियों की आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा और स्थानीय मछुआरे और व्यापारी संकट में आ गए। इलाके के लोग चाहते थे कि उनके व्यापार को फिर से स्थापित किया जाए, जिससे उनकी स्थिति में सुधार हो सके। इसी बीच, लालबाग बाजार के व्यापारी और मछुआरे समाज ने एक सामूहिक पूजा की योजना बनाई और गणपति की मूर्ति स्थापित करने का फैसला किया।

Lalbaugcha Raja Mumbai 2024

1934 में लालबाग के राजा गणपति की स्थापना की गई और गणपति जी से प्रार्थना की गई कि वे स्थानीय व्यापार को पुनः स्थापित करने में मदद करें। कहा जाता है कि गणपति बप्पा ने उनकी प्रार्थनाओं को सुना और इसके बाद से यहां का व्यापार धीरे-धीरे उन्नति करने लगा। इसी कारण से इस गणपति को “लालबाग के राजा” के नाम से प्रसिद्धि मिली, क्योंकि यह गणपति न सिर्फ लालबाग के, बल्कि पूरे मुंबई के राजा के रूप में पूजे जाते हैं।

लालबाग के राजा की मूर्ति की विशेषता (Features of Lalbaug Ka Raja idol)

लालबाग के राजा की मूर्ति हर साल एक नई और अनोखी होती है। इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 18-20 फीट होती है, और इसे अत्यंत सजीवता के साथ तैयार किया जाता है। मूर्ति का स्वरूप शाही होता है, जिसमें गणपति बप्पा को एक सिंहासन पर बैठे हुए दिखाया जाता है। लालबाग के राजा के चेहरे पर एक विशेष प्रकार की दिव्यता और शांति देखने को मिलती है, जो भक्तों के मन को शांति और संतोष प्रदान करती है।

गणपति की यह मूर्ति अपने शाही रूप के कारण खास पहचान बनाती है। हर साल मूर्ति का डिज़ाइन बदलता है, जिससे भक्तों में उत्साह बना रहता है। इस मूर्ति को तैयार करने में बड़ी बारीकी और ध्यान दिया जाता है, और इसे बनाने वाले मूर्तिकार सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।

मूर्ति स्थापना और विसर्जन की प्रक्रिया:

लालबाग के राजा की स्थापना गणेश चतुर्थी के दिन बड़े ही धूमधाम से होती है। हजारों की संख्या में लोग इस अवसर पर एकत्र होते हैं और गणपति बप्पा का स्वागत करते हैं। स्थापना के दिन विशेष पूजा और आरती होती है, जिसमें हर भक्त हिस्सा लेना चाहता है।

विसर्जन का समय भी बहुत ही खास होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन की शोभायात्रा बेहद भव्य होती है और इसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इस दौरान भक्त गणपति बप्पा से अगले साल जल्दी वापस आने की प्रार्थना करते हैं। विसर्जन का यह दृश्य देखने के लिए मुंबई के लोग पूरी रात सड़कों पर जुटे रहते हैं।

गणपति मूर्ति स्थापना से विसर्जन तक का खर्चा:

लालबाग के राजा की स्थापना से विसर्जन तक का खर्च बेहद विशाल होता है। इस आयोजन का बजट करोड़ों में होता है। हर साल मूर्ति की स्थापना, सजावट, सुरक्षा व्यवस्था, प्रसाद वितरण और विसर्जन प्रक्रिया में बड़ा खर्च आता है।

  1. मूर्ति निर्माण: लालबाग के राजा की मूर्ति को बनाने में ही लाखों रुपये खर्च होते हैं। यह मूर्ति हर साल नई बनाई जाती है और इसे बेहद आकर्षक और भव्य रूप दिया जाता है।
  2. पंडाल सजावट: पंडाल को सजाने में लाखों रुपये खर्च होते हैं। लालबाग के राजा का पंडाल मुंबई के सबसे बड़े और आकर्षक पंडालों में से एक होता है। इसे हर साल एक अलग थीम पर सजाया जाता है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
  3. सुरक्षा व्यवस्था: हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं, इसलिए सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा खर्चा होता है। पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम तैनात रहती है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और दर्शन का अनुभव सुगम बनाया जा सके।
  4. प्रसाद वितरण: दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसमें भी बड़ा खर्चा आता है।
  5. सामाजिक कार्य: लालबाग के राजा गणेशोत्सव मंडल विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी शामिल होते हैं। इस दौरान गरीबों को भोजन, कपड़े, और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की जाती है।

Lalbaugcha Raja Mumbai 2024

विसर्जन खर्च:

विसर्जन के दिन भी बड़े पैमाने पर तैयारियां की जाती हैं। मूर्ति को समुद्र में विसर्जित करने के लिए विशेष वाहन सजाए जाते हैं। विसर्जन के समय सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और बोट की व्यवस्था की जाती है। साथ ही, विसर्जन के समय सजावट, संगीत, और आतिशबाजी पर भी भारी खर्चा आता है। कुल मिलाकर, गणपति की स्थापना से लेकर विसर्जन तक का खर्चा करोड़ों रुपये तक पहुंच जाता है।

लालबाग के राजा की लोकप्रियता (Popularity of Lalbagh Ka Raja)

Popularity of Lalbagh Ka Raja
Popularity of Lalbagh Ka Raja

लालबाग के राजा की मूर्ति न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देशभर में मशहूर है। गणेशोत्सव के दौरान हर साल लाखों लोग इस मूर्ति के दर्शन करने आते हैं। यहाँ आने वाले भक्तों में सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड सितारे, व्यवसायी, और राजनेता भी शामिल होते हैं।

लालबाग के राजा के दर्शन को लेकर एक विशेष मान्यता है कि यहां पर की गई मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि लोग यहां दूर-दूर से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं और गणपति बप्पा से अपनी प्रार्थनाएं करते हैं।

लालबाग के राजा से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

  1. मनोकामना पूर्ति: लालबाग के राजा के बारे में कहा जाता है कि वे “मनोकामना पूर्ति गणपति” हैं। लोग अपनी इच्छाएं लेकर आते हैं और प्रार्थना करते हैं कि गणपति उनकी मनोकामना पूरी करें।

  2. राजनीतिक और फिल्मी हस्तियां: यहां पर कई राजनीतिक और फिल्मी हस्तियां भी दर्शन के लिए आती हैं। कई बॉलीवुड सितारे भी गणपति बप्पा के दर्शन के लिए लालबाग आते हैं।
  3. दर्शन की विशेषता: लालबाग के राजा के दर्शन के लिए भक्तों को कई घंटों तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है। कभी-कभी यह कतारें 20 से 30 घंटे तक लंबी हो जाती हैं, लेकिन भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आती।
  4. प्रसाद का वितरण: यहाँ का प्रसाद भी बहुत विशेष होता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू दिए जाते हैं, जो गणपति बप्पा का प्रिय भोजन है।

Lalbaugcha Raja Mumbai 2024

निष्कर्ष:

लालबाग के राजा की स्थापना से लेकर विसर्जन तक की पूरी यात्रा एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव है। यहां गणपति बप्पा की मूर्ति का भव्य स्वरूप, पंडाल की सजावट और भक्तों का अटूट विश्वास इस आयोजन को एक अद्वितीय अनुभव बनाता है। गणेशोत्सव के इस पर्व में हर व्यक्ति की भावनाएं जुड़ी होती हैं, और लालबाग के राजा की कृपा से हर भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करता है।

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