वैसे कहने को तो भारत और नेपाल में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या अधिक है लेकिन इनमें से किसी भी देश के राष्ट्रीय ध्वज पर हिंदू देवी देवता या कोई धार्मिक प्रतिक चिन्ह नहीं है. लेकिन दुनिया के इस देश के नेशनल फ्लैग में हिंदू मंदिर का बड़ा चित्र है।
Angkor Wat Temple: कंबोडिया दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जिसके नेशनल फ्लैग पर एक हिंदू मंदिर का चित्र बनाया गया है. ये चित्र अंगकोर वाट के प्राचीन मंदिर का हैं, जो की प्राचीन समय में भारत से बाहर फैले हिंदू और बौद्ध धर्म के प्रभाव के बारे में दर्शाता है. कंबोडिया एक जमाने में हिंदू राष्ट्र था, जो फिर बाद में बौद्ध देश में बदल गया.
कंबोडिया का झंडा दुनिया का अकेला राष्ट्रीय ध्वज है, जिस पर एक हिंदू मंदिर का चित्र बना हुआ है. इस ध्वज में पिछले कई सालों में कई बार बदलाव किए गए लेकिन हर बार इसके ध्वज में मंदिर का चित्र नहीं हटाया गया. कंबोडिया का ये राष्ट्रीय ध्वज 1989 में स्वीकार किया गया और 1993 में कंबोडिया सरकार की ओर से इसे पूरी मंजूरी मिल गई.
जिस हिंदू मंदिर का चित्र कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर है वो प्रसिद्ध अंगकोर वाट मन्दिर 12वीं शताब्दी में महिधरपुरा राजाओं द्वारा बनवाया गया था. इसमें पांच मीनारें हैं, सितंबर 1993 में जब कंबोडिया में राजशाही बहाल हुई तब 1948 के झंडे को उसी साल जून में फिर से अपनाया गया, जिसमें तीन मीनारें हैं.
भारत में नहीं बल्कि इस देश में है दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर।
दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया देश में है। इस मंदिर का नाम अंकोरवाट मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट अद्भुत है, जिसकी वजह से यूनेस्को में विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया हुआ है।
अंकोरवाट मंदिर का पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण 12वीं सदी में खामेर वंश के सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर श्री विष्णु देव को समर्पित है जबकि यहां के पूर्ववर्ती शासकों ने प्राय: शिव मंदिरों का ही निर्माण करवाया था।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इस मंदिर को दुनिया की सबसे बड़ा धार्मिक स्थान मानता है. मूल रूप से इसको एक हिंदू मंदिर के रूप में निर्मित गया था. राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनवाया गया ये मंदिर मूलरूप से भगवान विष्णु को समर्पित है. 12वीं सदी के दौरान ये धीरे-धीरे एक बौद्ध मंदिर में तब्दील हो गया. इसे “हिंदू-बौद्ध” मंदिर के रूप में भी वर्णित किया जाता है.