Pakistan’s invitation to Modi : पाकिस्तान ने पीएम नरेंद्र मोदी को अक्टूबर 2024 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। भारत ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। मोदी के व्यक्तिगत रूप से जाने की संभावना कम है, और संभव है कि भारत किसी मंत्री को भेजे। भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए यह निर्णय महत्वपूर्ण होगा। आने वाले दिनों में भारत का रुख स्पष्ट हो सकता है।
Pakistan’s invitation to Modi :
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मुख्य बिंदु:
- पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अक्टूबर 2024 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने का निमंत्रण दिया है।
- भारत ने इस न्योते पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, और यह स्पष्ट नहीं है कि पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल होंगे या किसी मंत्री को भेजा जाएगा।
- भारत और पाकिस्तान दोनों एससीओ के पूर्ण सदस्य हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
पाकिस्तान का निमंत्रण और उसकी प्रासंगिकता
पाकिस्तान ने अक्टूबर 2024 में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया है। यह बैठक पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार वह सीएचजी (Council of Heads of Government) की रोटेटिंग चेयरमैनशिप की अध्यक्षता कर रहा है। इस बैठक में महत्वपूर्ण आर्थिक, सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिनका असर पूरे यूरेशियाई क्षेत्र पर पड़ सकता है।
भारत की संभावित प्रतिक्रिया
भारत ने अभी तक इस निमंत्रण पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, पिछले अनुभवों और भारत-पाकिस्तान के संबंधों के मौजूदा हालात को देखते हुए, इस बात की संभावना कम है कि पीएम मोदी इस निमंत्रण को स्वीकार करेंगे। पिछले कुछ सालों में भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को लेकर एक सख्त रुख अपनाया है, खासकर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से। ऐसे में पाकिस्तान की यात्रा करना और वहां व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना, एक बड़ा राजनीतिक संदेश भेज सकता है।
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एससीओ में भारत का प्रतिनिधित्व
यदि पीएम मोदी इस बैठक में भाग नहीं लेते हैं, तो भारत की ओर से किसी मंत्री को भेजने की संभावना है। पिछले साल विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिश्केक में आयोजित सीएचजी बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। भारत ने हमेशा एससीओ के मंच का उपयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग के लिए किया है, लेकिन वह चीनी प्रभुत्व और पश्चिम विरोधी नीतियों के प्रति सतर्क रहता है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव : Tension in India-Pakistan relations
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भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण हैं। जम्मू-कश्मीर का मुद्दा और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण दोनों देशों के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। भारत ने पाकिस्तान से वार्ता के लिए हमेशा शर्त रखी है कि वह आतंकवाद का समर्थन बंद करे। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने की मांग की है, जिसे भारत ने साफ तौर पर खारिज कर दिया है।
एससीओ में भारत की रणनीति
भारत एससीओ को एक महत्वपूर्ण मंच मानता है, जहां वह चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश करता है। हालांकि, भारत ने एससीओ के संयुक्त बयानों में कभी भी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन नहीं किया है। यह भारत की एक स्पष्ट रणनीति है कि वह एससीओ के माध्यम से अपनी भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक हितों की रक्षा करता रहे, लेकिन चीन के प्रभुत्व और पाकिस्तान के दबाव से भी सावधान रहे।
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अंतिम निर्णय का महत्व
इस निमंत्रण पर भारत के अंतिम निर्णय का व्यापक असर हो सकता है। यदि पीएम मोदी पाकिस्तान जाते हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश होगा, जिससे दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय शुरू हो सकता है। लेकिन अगर वह नहीं जाते हैं, तो यह पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश होगा कि भारत आतंकवाद और क्षेत्रीय संप्रभुता के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगा।
निष्कर्ष
भारत के लिए यह निर्णय आसान नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान दौरे का फैसला केवल एक बैठक में भाग लेने का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत की व्यापक विदेश नीति, सुरक्षा हितों और पाकिस्तान के साथ संबंधों को पुनः परिभाषित करने का एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस चुनौतीपूर्ण निमंत्रण का कैसे जवाब देता है।
आने वाले समय में, भारत और पाकिस्तान के बीच इस बैठक के संदर्भ में क्या घटनाएं घटती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।