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The Diary of West Bengal Review 2024
The Diary of West Bengal Review 2024

The Diary of West Bengal 2024: A Controversial Film Review

The Diary of West Bengal Review 2024 : फिल्म ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ हाल ही में रिलीज हुई है और इसके साथ ही यह एक बड़े विवाद का कारण बन गई है। यदि आप इस फिल्म को देखने का विचार कर रहे हैं, तो पहले इसकी कहानी, विवाद और उसके पीछे के तथ्यों को समझना बेहद जरूरी है। यह फिल्म पश्चिम बंगाल की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को लेकर काफी विवादास्पद मानी जा रही है, खासकर इसके ट्रेलर रिलीज के बाद से। आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी और उससे जुड़े विवादों के बारे में विस्तार से।

फिल्म की कहानी: रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी चरमपंथियों की कथित घुसपैठ

The Diary of West Bengal: Review of a controversial political thriller
The Diary of West Bengal: Review of a controversial political thriller

‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ की कहानी पश्चिम बंगाल में रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी चरमपंथियों की कथित घुसपैठ और इसके कारण होने वाली सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल पर आधारित है। फिल्म की मुख्य पात्र, सुहासिनी भट्टाचार्या (आर्शिन मेहता द्वारा अभिनीत), एक पत्रकार है, जो इन घुसपैठियों के राज्य में बसने के पीछे की गहरी राजनीतिक साजिशों को उजागर करती है। फिल्म की कहानी में तब और भी ज्यादा रोमांच आ जाता है, जब सुहासिनी की जांच उसे शीर्ष राजनीतिक अधिकारियों की संलिप्तता की ओर ले जाती है, जिससे उसका जीवन और करियर दोनों ही खतरे में पड़ जाते हैं।

विवाद की शुरुआत: ‘दूसरा कश्मीर’ और ‘खेला होबे’ का उल्लेख

इस फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होते ही विवाद शुरू हो गया था। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। ट्रेलर में बंगाल को ‘दूसरा कश्मीर’ के रूप में दिखाया गया है, जो बांग्लादेश से सटी सीमा से रोहिंग्या मुसलमानों को राज्य में प्रवेश करते दिखाता है। ट्रेलर में यह भी दर्शाया गया है कि अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण की राजनीति से अन्य समुदायों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

The Diary of West Bengal Review 2024

फिल्म में राज्य सरकार के प्रसिद्ध नारे ‘खेला होबे’ और सीएए-एनआरसी (CAA-NRC) जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया गया है, जो इस फिल्म को और भी विवादास्पद बना देता है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन को मोहर्रम के बाद करने का निर्देश भी दिखाया गया है।

विवाद का विस्तार: लीगल नोटिस और तृणमूल कांग्रेस की आपत्ति

ट्रेलर रिलीज के बाद, कोलकाता के अम्हस्र्ट स्ट्रीट थाने में इस फिल्म के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि इस फिल्म के जरिए पश्चिम बंगाल की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। फिल्म के निर्देशक सनोज मिश्रा को इस मामले में 30 मई को तलब किया गया था।

तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने इस फिल्म को राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि यदि यह फिल्म बंगाल डायरी के नाम से बनाई गई है, तो इसमें राज्य सरकार की ‘दुआरे सरकार’ और ‘कन्याश्री’ जैसी योजनाओं का जिक्र क्यों नहीं किया गया है?

ट्रेलर की लोकप्रियता: यूट्यूब पर मिला सकारात्मक रिस्पॉन्स

Popularity of trailer: Positive response received on YouTube
Popularity of trailer: Positive response received on YouTube

विवादों के बावजूद, इस फिल्म के ट्रेलर को यूट्यूब पर दर्शकों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। अब तक लगभग साढ़े चार लाख लोग इस फिल्म का ट्रेलर देख चुके हैं, और 40 हजार से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया है। इससे यह साबित होता है कि फिल्म ने दर्शकों के बीच एक खास रुचि पैदा की है।

The Diary of West Bengal Review 2024

फिल्म का प्रभाव: एक मजबूत राजनीतिक बयान

‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ एक राजनीतिक थ्रिलर है जो दर्शकों के सामने पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति का एक पक्ष प्रस्तुत करती है। फिल्म में रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी चरमपंथियों की कथित घुसपैठ, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की राजनीति, और इसके परिणामस्वरूप राज्य में उत्पन्न हो रही सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को उजागर करने की कोशिश की गई है।

निष्कर्ष: क्या आपको यह फिल्म देखनी चाहिए?

‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ एक ऐसी फिल्म है जो निश्चित रूप से दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है। हालांकि, फिल्म में दिखाए गए तथ्यों और घटनाओं को लेकर विवाद और विवादास्पद बयानबाजी के चलते यह फिल्म हर किसी के लिए नहीं हो सकती है। अगर आप राजनीतिक थ्रिलर और विवादास्पद विषयों पर आधारित फिल्मों में रुचि रखते हैं, तो यह फिल्म आपको एक अलग दृष्टिकोण से सोचने का अवसर दे सकती है।

The Diary of West Bengal Review 2024

फिल्म के निर्देशक ने इस मुद्दे पर अपने विचार प्रकट करने के लिए एक साहसी कदम उठाया है। लेकिन यह देखना होगा कि दर्शक इस फिल्म को किस प्रकार से लेते हैं और यह फिल्म किस हद तक प्रभावशाली साबित होती है।

अंततः, ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ एक फिल्म है जो समाज और राजनीति के संबंधों की जटिलताओं को उजागर करती है। यह फिल्म निश्चित रूप से चर्चा का विषय बनी रहेगी, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक।

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