बिग बॉस टीवी रियलिटी शो की शुरुआत कब और कैसे हुई ? When and how did Bigg Boss TV reality show start ?
When and how did Bigg Boss TV reality show start ? बिग बॉस जैसे टीवी रियलिटी शो की शुरुआत कब और कैसे हुई ? इसके पीछे क्या मकसद था ? आइए जानते हैं विस्तार में…
भारत में “Bigg Boss” अंग्रेजी टीवी रियलिटी शो बिग ब्रदर का रुपांतरण है, यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय है. यह एक ऐसा शो है जहां प्रतियोगियों के चेहरे से नकाब उतरते हैं, गाली और झगड़ा तो इस शो का मसाला है, जानिए इस शो से जुड़े कुछ रोचक पहलुओं को .
बिग ब्रदर से आया कॉन्सेप्ट :
वास्तव में भारत में बिग बॉस शो का कांसेप्ट ब्रिटिश टीवी रियलिटी शो बिग ब्रदर (Big Brother) के आधार पर तैयार किया गया था. साल 1997 में प्रोड्यूसर जॉन डी मोल (John de Mol) ने इसे बनाया था. लेकिन ये बिग ब्रदर टाइटल कहां से आया, इसकी भी अपनी कहानी है.
“जॉन डी मोल” एक ऐसा टीवी रियलिटी शो बनाना चाहते थे, जो दर्शकों को चौंका दे. लोगों को शामिल करके रख सके. इसी क्रम में उन्हें अंग्रेजी के लेखक जॉर्ज ऑर्वेल (George Orwell) के एक नॉवेल के एक कैरेक्टर ने ध्यान खींच लिया. उन्होंने सोचा अगर इस नॉवेल के किरदार जैसा शासक हो तो वो वास्तविक दुनिया कैसी होगी ? बस, इसी सोच ने शो की रूप रेखा खींच दी.
जॉर्ज ऑर्वेल के नॉवेल से आया आइडिया
जॉर्ज ऑर्वेल वह नॉवेल था – ‘नाइंटीन एट्टी-फोर’ (Nineteen Eighty-Four) जो कि साल 1949 में ही लिखा गया था और काफी चर्चित भी हुआ था. अपने समय से काफी आगे की कहानी और सोच वाले इस नॉवेल में एक किरदार है जो अपनी प्रकृति से बेहद कड़क मिजाज था. वास्तव में वह तानाशाह किस्म का था. उसी का नाम था – बिग ब्रदर. जॉन डी मोल ने अपने शो की परिकल्पना तैयार करते समय इसी बिग ब्रदर को केंद्र में रखा. जो हरेक प्रतियोगी की हर गतिविधि पर नजर रखता है और कड़क अंदाज में टास्क देता है.
जब साल 2000 में बिग ब्रदर का प्रसारण चैनल 4 पर हुआ तो देखते ही देखते इसकी रेटिंग आसमान छूने लगी. तब 24 घंटे की लाइव फीड को दिखा दिया गया था. बिग ब्रदर चैनल 4 पर ग्यारह भागों में प्रसारित हुआ. और 2010 तक जारी रहा. बाद में चैनल 5 ने इसका अधिकार हासिल कर लिया और 2011 में इसे रीलॉन्च किया. बिग ब्रदर आज भी जारी है.
भारत में भी शुरू से ही लोकप्रिय
भारत में बिग बॉस (Bigg Boss) रियलिटी शो का निर्माण एंडमोल शाइन इंडिया ने किया था. बिग बॉस का पहला शो साल 2006 में सोनी टीवी पर प्रसारित हुआ था. तब इसे अरशद वारसी ने होस्ट किया था. पहले शो के विजेता थे राहुल रॉय. इसके बाद यह कलर्स टीवी पर शिफ्ट हो गया. सलमान खान के अलावा अमिताभ बच्चन भी इस शो को होस्ट कर चुके हैं.
आज की तारीख में बिग बॉस हिंदी ही नहीं बल्कि कई भाषाओं मसलन कन्नड़, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी और मलयालम में भी उतना ही लोकप्रिय है.
अपनी फील्ड के अनुभव शेयर करते हैं
बिग बॉस शो वैसे भी एक निराली दुनिया है. यहां प्रतियोगियों को करीब सौ से ज्यादा दिनों तक मेनस्ट्रीम दुनिया से बिल्कुल अलग रखा जाता है. अलग अलग परिवेश से और फील्ड के कलाकार यहां आते हैं. आमतौर पर ये सभी सेलिब्रिटी हाल फिलहाल में किसी ना किसी तरह से चर्चित हुए रहते हैं. बिग बॉस के घर में आकर इन्हें अपनी-अपनी फील्ड को लेकर अपने अनुभव शेयर करने का मौका मिलता है.
यहां सबके चेहरे से नकाब उतरते हैं
बिग बॉस शो की सबसे खास ये है कि यहां प्रतियोगियों को खुलकर जीने और अपनी बातें कहने का मौका मिलता है. यहां सबकी आदतें दुनिया के सामने आती हैं. कौन किस नेचर का है, किस तरह का व्यवहार करता है, किस किस्म की इंसानियत को जीने का दंभ रखता है, कौन कितना मक्कार है, कौन कितना झूठ बोलता है, कौन कितना मेहनती और ईमानदार है, यहां के प्रतियोगियों के चेहरे से नकाब उतरते हैं.
जाने-माने फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्म्ज कहते हैं – “वास्तव में हम सभी दूसरों की जिंदगी में झांकने में कुछ ज्यादा ही रुचि लेते हैं. अगर दूसरों की जिंदगी में मोहब्बत या नोक-झोंक हो तो ये रुचि और बढ़ जाती है. यही इस शो की लोकप्रियता का राज है.
गाली और झगड़ा आम है
बिग बॉस शो में गाली और झगड़ा ना हो, तो समझिए शो फीका हो गया. गाली और झगड़ा इस शो के मसाले हैं. यह जितना ज्यादा होगा, शो उतना ही लोकप्रिय होता है. अलग अलग जगहों से आये प्रतियोगियों को यहां सामंजस्य बैठाकर रखना होता है लेकिन यह कितना कामयाब होता है, इसे किसी भी शो में देखा जा सकता है. लेकिन इसकी लोकप्रियता की वजह कुछ और भी है. फिल्म क्रिटिक विशाल वर्मा कहते हैं – “कुछ इंसानी फितरत हर जगह लागू होती है. तमाशा देखने का शौक सबको होता है. दूसरों की जिंदगी पर टिप्पणी करने में कुछ लोगों को सुकून मिलाता है, जैसे कि आजकल ट्रोल करना और जजमेंटल हो जाना लोगों को मजेदार लगता है.”
वहीं एम्स के पूर्व मनोरोग एक्सपर्ट डॉ. राजकुमार श्रीनिवास टीवी9 से बातचीत में बताते हैं – “इस प्रकार के शो में हर प्रतिभागी जीत के मक़सद से आता है. अधिकतर चीज़ें स्किप्टेड होती हैं. हम जो भी देखते हैं वो शो का हिस्सा होती है. इस प्रकार के शो में प्रतिभागी मानसिक रूप से मज़बूत होते हैं और हर प्रकार की सिचुएशन को टैकल कर सकते हैं.”